Uttarakhand News: अब टेक्नोलॉजी से आएगी महिलाओं से सोशल मीडिया पर अभद्रता करने वालों की शामत, पहचान कर होगी कार्रवाई

आईआईटी मीडिया सेल के अनुसार कोविड-19 लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी देखी गई। महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म्स को सुरक्षित बनाने के प्रयास में मशीन लर्निंग एक्सपर्ट और आईआईटी रुड़की की एल्युमिन रिची नायक ने एक एल्गोरिथम विकसित किया है। जो सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर महिलाओं से अभद्रता संबंधित पोस्ट की पहचान और रिपोर्ट करता है। सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए किए गए इस शोध में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित की ज्ञान का उपयोग किया गया है। महिलाओं के जीवन को उज्जवल बनाने की दिशा में यह उनका अभिनव प्रयास है।

लोग इंटरनेट पर अधिक समय बिता रहे हैं। एक वेब फाउंडेशन सर्वेक्षण के अनुसार 52 फीसदी युवा महिलाओं ने स्वीकार किया है कि उन्हें ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। इसमें धमकी भरे संदेश, यौन उत्पीड़न और बिना सहमति के निजी तस्वीरों को शेयर करने जैसी वारदातें शामिल हैं।

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रो. रिची नायक ने कहा कि छोटी उम्र से ही उनकी दिलचस्पी गणित में रही है। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ शिक्षाविदों के सानिध्य में बहुत कुछ सीखा। रिची नायक ने मशीन लर्निंग के अपने अनुभव का इस्तेमाल किसी सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए करना चाहती थी। उन्होंने महसूस किया कि सोशल प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं को लेकर की जा रही अभद्र टिप्पणी और अपमानजनक कंटेंट का पता लगाने से महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है। जिसके बाद उन्होंने अपने सहयोगी मो. अब्दुल बशर के साथ मिलकर एक एल्गोरथिम विकसित किया और उसे इस तरह ट्रेन किया है कि वह सोशल मीडिया पोस्ट के कंटेंट, कॉन्टेक्स्ट और इंटेंट को समझ सके।

ऐसे करेगा काम

उनका यह शोध विकिपीडिया जैसे डेटासेट के साथ मॉडलों के प्रशिक्षण पर केंद्रित है। जिसके बाद यूजर रिव्यू डेटा के माध्यम से इसे कुछ हद तक अपमानजनक भाषा से संबंधित ट्रेनिंग दी गई है। इसने ट्वीट के एक बड़े डेटासेट पर भी मॉडल को ट्रेनिंग दिया है। भाषा समझने की क्षमता से लैस करने के अलावा, शोधकर्ताओं ने इसे गलत और सही ट्वीट के बीच अंतर करना भी सिखाया है। उनक यह शोध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उत्पीड़न संबंधी कंटेंट का स्वचालित रूप से पता लगाने और उसे रिपोर्ट करने की दिशा में उठाया गया कदम है। अभी तक उत्पीड़न के संदिग्ध केस को यूजर द्वारा ही रिपोर्ट किया जाता था। एल्गोरिथम डाटा को विश्लेसित करता है।

मुझे खुशी है कि आईआईटी की एल्युमिनस द्वारा सह-विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न को स्वचालित रूप से चिन्हित करने के लिए किया जा सकता है। मुझे आशा है कि इस तरह के संदिग्ध पोस्ट का पता लगाने से सोशल मीडिया और ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं के प्रति जिस तरह से व्यवहार किया जा रहा है उसमें सुधारात्मक बदलाव आएगा।
प्रो. अजीत चतुर्वेदी, निदेशक आईआईटी

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