पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है मे की रमजान में मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत दिए जाने के फैसले पर जताई जा रही चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि वह लोगों को मस्जिदों में जाने से नहीं रोक सकते। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सामूहिक नमाज के बाद वायरस फैलने में तेजी आई तो फिर उन्हें मजबूरन मस्जिदों को बंद करने का आदेश देना पड़ेगा।
इमरान ने लोगों से घरों में ही नमाज पढ़ने की अपील की और कहा कि अगर मस्जिद जा रहे हों तो उन शर्तो का पालने करें जिनके तहत मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत दी गई है। अगर इन शर्तों का पालन नहीं हुआ और वायरस फैला तो मजबूरन उन्हें मस्जिदों में सामूहिक नमाज की अनुमति को वापस लेना पड़ेगा।
क्या हम लोगों के साथ जबरदस्ती करें कि वे मस्जिदों में न जाएं? और अगर वे जाएं तो क्या पुलिस नमाजियों को उठाकर जेल में डाल दे? आजाद देश में ऐसे नहीं होता। “लोग पूछ रहे हैं कि और मुस्लिम देशों में मस्जिदें बंद हैं तो फिर पाकिस्तान में ऐसा क्यों नहीं हो रहा। इसका जवाब यह है कि पाकिस्तान एक आजाद देश है और लोगों को धर्मस्थलों तक जाने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने कहा कि एक आजाद समाज में लोग खुद एक साथ विचार करते हैं। वे खुद इस बात पर विचार करते हैं कि देश के लिए क्या सही है और क्या नहीं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अभी मस्जिदों में अधिकतम पांच लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है लेकिन रमजान के महीने में यह प्रतिबंध हट जाएगा। उलेमा और सरकार के बीच सहमति बनी है कि सुरक्षा के 20 उपायों को मानने के साथ मस्जिदों में सामूहिक नमाज की अनुमति होगी।