सावधान! बाजार की इस तेजी में फंस सकते हैं नए निवेशक

अनलॉक के पहले चरण में ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. दुकानें, मॉल, होटल और रेस्त्रां खुल चुके हैं. हालांकि, इनमें लोग नदारद हैं. इधर, शेयर बाजार में निवेशकों की खूब सक्रियता दिख रही है.

आंकड़े बताते हैं कि मार्च, अप्रैल और मई के दौरान सीडीएसएल में 18 लाख नए खाते खुले, जबकि जनवर-फरवरी में यह आंकड़ा 8.41 लाख खातों का था. इस बात की उम्मीद काफी अधिक है कि शेयर बाजार में एंट्री करने वाले नए निवेशक काफी खुश हैं, क्योंकि बीएसई सेंसेक्स निचले स्तर से 35 फीसदी ऊपर है.

आंकड़ों के अनुसार, बाजार के 85 फीसदी शेयरों ने 24 मार्च के निचले स्तरों से सकारात्मक रिटर्न दिया है. हालांकि, विश्लेषक बाजार की इस हैरतअंगेज तेजी को लेकर कुछ संदेह जता रहे हैं. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्थाओं के व्यापक आंकड़े खराब हैं. इसके बावजूद ऐसी तेजी काफी हद तक गैर-वाजिब नजर आ रही है.

मुझे लगता है , “यह सिर्फ लिक्विडिटी आधारित तेजी है. विदेशी निवेशक मार्च के अंत से शॉर्ट कवरिंग कर रहे हैं. उनके पास लिक्विडिटी अधिक है. जैसे ही वैश्विक स्तर पर बाजार में कुछ उथल-पुथल होता है, आप उनके रुख में बदलाव देखेंगे.”

हालाकि जमीनी हकीकत के मद्देनजर बाजार में गिरावट की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता. में निवेशकों को इन स्तरों पर मुनाफावसूली करने की सलाह दी है. निफ्टी ने तीन महीने से कम समय में 38 फीसदी तक की तेजी दर्ज की है.

जून के पहले सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में 20,824 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे पहले उन्होंने मई में 14,569 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. हालांकि, मार्च और अप्रैल में उन्होंने क्रमश: 61,973 करोड़ रुपये और 6,884 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी.

सेंसेक्स शेयरों की बात करें, तो महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सन फार्म, भारती एयरटेल, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और ओएनजसीसी जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर 24 मार्च के निचले स्तर से 30 से 85 फीसदी तक ऊपर हैं.

करीब 54 मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का भाव दोगुना हो गया है. इसमें ऑप्टो सर्किट, विकास इको टेक, प्रोजोन इंटु प्रॉपर्टीज, सांवरिया कंज्यूमर, सिन्टेक्स प्लास्टिक्स, मार्कसंस फार्मा और जैन इरिगेशन समेत कई शेयर शामिल हैं. विश्लेषकों का मानना है कि नए निवेशकों के जाल में फंसने का खतरा है.

आईडीबीआई कैपिटल के रिसर्च प्रमुख एके प्रभाकर ने कहा, “नए निवेशक जोखिम को नहीं समझते. बाजार एंट्री के समय ऐसा बर्ताव करता है. बाजार में आई एकाएक गिरावट पर ये निवेशक और पैसा डाल सकते हैं, ताकि औसत भाव को कम किया जाए. इस तरह ये निवेशक 1 से दो साल के लिए फंस सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “कोरोना काल के चरम पर इंडेक्स 103 के स्तर पर था और अब यह 96.5 पर है. यह दर्शाता है कि जोखिम भरे कारोबार में लगातार पैसा आ रहा है. निवेशक अमेरका के सरकरी बॉन्ड जैसे सुरक्षित विकल्पों में से पैसा निकाल कर भारत के जोखिम भरे बाजार में डाल रहे हैं.”

इंवेस्को म्यूचुअल फंड के ताहिर बादशाह का मानना है कि बाजार में डर खत्म हो गया है. उन्होंने कहा, “इस बात के आसार काफी कम हैं कि बाजार साल 2020 के निचले स्तरों तक दोबारा जाने वाले हैं. दुनिया भर में इस महामारी पर नियंत्रण नजर आ रहा है. तीन महीने के लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग से फायदा मिला है.”

शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक

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