उत्तराखंड के चमोली में बाबा बर्फानी ने अपना पूरा आकार ले लिया है। अधिकांश लोग बाबा बर्फानी से वाकिफ होंगे मगर जो वाकिफ नहीं हैं उनको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर और भारत-चीन बॉर्डर पर स्थित देश का अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण (Timmersain ) में हर साल 15 मार्च के बाद बर्फ का 6 फीट ऊंचा प्राकृतिक शिवलिंग अपने-आप बनता है। लोगों की बर्फानी बाबा पर अपार श्रद्धा है और हर साल सैकड़ों की संख्या में भारत-चीन सीमा पर स्थित देश के अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण में लोग बाबा बर्फानी नामक प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं।
श्रद्धालु हर वर्ष बाबा बर्फानी के दर्शन करने का इंतजार करते हैं। लॉकडाउन के चलते इस साल पर्यटक व श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं और स्थानीय लोग लगातार बाबा बर्फानी के दर्शन कर रहे हैं और उनकी पूजा कर रहे हैं। बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाला हर एक व्यक्ति आत्ममुग्ध हो जाता है।
भारत के अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण (Timmersain ) नामक स्थान पर एक छोटी सी गुफा में बाबा बर्फानी हर साल शिवलिंग का आकार लेते हैं। वहां के स्थानीय लोग बाबा के दर्शन कर पाने के कारण खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं और वह गुफा को ” बबुक उडियार” के नाम से पुकारते हैं। सब कुछ प्राकृतिक होने के कारण ही गुफा के अंदर प्रवेश करते ह पहाड़ी से गिर रही शीतल नदी की धारा से भक्तों का स्नान अपने आप हो जाता है। दृश्य की कल्पना करना भी खुद में सुख की अनुभूति है। 15 मार्च से ही टिम्मरसैंण की गुफा में दर्जनों शिवलिंग आकार लेने लगती हैं। अप्रैल माह के आखिरी तक ग्रीष्मकाल के आने से प्राकृतिक शिवलिंग की संख्या 2-3 रह जाती है। चूंकि इस साल पहाड़ों पर खूब बर्फबारी हुई है इसलिए इस बार भी प्राकृतिक शिवलिंग की संख्या कुल 3 हैं जिनमें से एक मुख्य शिवलिंग पूर्ण आकार की है। हर वर्ष हजारों लोग बर्फानी बाबा के दर्शन करने को आतुर रहते हैं मगर इस वर्ष दुर्भाग्य से लॉकडाउन के कारण श्रद्धालु बर्फानी बाबा के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
गांव के लोगों ने इस प्राकृतिक शिवलिंग की खासियत बताते हुए कहा है कि कई स्थानों पर इसमें नीली आभा नजर आती है।