दो साल में तीन बार आंधी से स्मारक को नुकसान पहुंचा है। वर्ष 2018 में एक ही महीने में दो बार पिलर और पत्थर गिरे थे। दो मई को भारी नुकसान हुआ था। इस बार भी मई के महीने में ही रेलिंग और द्वार गिरे हैं।
ताजनगरी में 124 किलीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आई आंधी ने तबाही मचा दी। इसके कहर से मोहब्बत की मिसाल ताजमहल भी जख्मी हो गया।
इससे पहले 2018 में 11 अप्रैल और दो मई को आंधी ने नुकसान पहुंचाया था। तब आंधी की रफ्तार 132 किमी. प्रति घंटा थी। रॉयल गेट, दक्षिणी गेट के उत्तर पश्चिम गुलदस्ता पिलर टूटकर गिर गए थे। सरहिंदी बेगम, फतेहपुरी बेगम के मकबरों में भी गुलदस्ता पिलर गिरे थे। ताजमहल के मुख्य प्रवेश द्वार पर पिछले साल ही नई व्यवस्था की गई थी। मेट्रो की तरह ऑटोमेटिक द्वार लगाए गए थे। ये टोकन से खुलते हैं। इनमें प्रवेश के लिए प्रत्येक पर मेटर डिटेक्टर मशीन लगाई गई थी। ये भी ध्वस्त हो गई हैं। हालांकि एएसआई के अधिकारी इससे इतनी बड़ी क्षति नहीं मान रहे हैं
एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि ये सब हाल ही का स्ट्रक्चर है जो एक या दो दिन में ही फिर से खड़ा हो सकता है। चिंता इस बात की है कि यमुना की तरफ की रेलिंग गिर गई है। इसे फिर से तैयार कराया जाएगा। इसमें पत्थर इस्तेमाल होगा। इसे मुगलकालीन लुक दीया जाएगा।
दो साल पहले की आंधी में फतेहपुर सीकरी में भी भारी नुकसान हुआ था। ताज में मुमताज के अलावा शाहजहां की दो और बीवियां सरहिंदी बेगम और फतेहपुरी बेगम दफन हैं। ताज को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया था कि भूकंप, तूफान, बारिश से कम से कम नुकसान हो। इसीलिए मुख्य मकबरे की चारों मीनारों का रुख बाहर की ओर है।