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गेल क्रेटर: अंटार्कटिका का ज्वालामुखी ख़ज़ाना

क्या आप कभी अंटार्कटिका के दूर‑दराज़ हिस्से में छिपे एक बड़े ज्वालामुखी के बारे में सुनते हैं? वही है गेल क्रेटर। इसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे – उसका आकार, रहस्य और विज्ञान सब एक साथ मिलते हैं। चलिए, इस अद्भुत जगह के बारे में आसान भाषा में बात करते हैं, ताकि आप समझ सकें कि यह इतना खास क्यों है।

गेल क्रेटर क्या है?

गेल क्रेटर अंटार्कटिका के वेस्टर्न अड्रियम में स्थित एक बहुत बड़ा ज्वालामुखी क्रेटर है। यह लगभग 70 किलोमीटर व्यास वाला है, यानी इतना बड़ा कि एक छोटा शहर पूरी तरह इसमें समा सकता है। इस क्रेटर की दीवारें ऊँची‑नीची हैं, और अंदर कई छोटे‑छोटे ज्वालामुखी ढाँचे हैं। वैज्ञानिक इसे लगभग 5 लाख साल पुराना मानते हैं, लेकिन अभी भी यहाँ से गैस और धूम्र निकलता है, इसलिए यह पूरी तरह निष्क्रिय नहीं कहा जा सकता।

गेल क्रेटर क्यों खास है?

पहला कारण – भूवैज्ञानिक दृष्टि से। इस तरह के बड़े क्रेटर बहुत कम मिलते हैं। जब कोई ज्वालामुखी फटता है, तो आमतौर पर ध्वस्त क्षेत्र छोटा रहता है, लेकिन गेल क्रेटर ने एक ही विस्फोट में बहुत बड़ी जगह बना दी। इससे वैज्ञानिक पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद लेते हैं।

दूसरा – पर्यावरणीय महत्त्व। क्रेटर के अंदर की ठंडी हवाएँ और बर्फ़ीली सतह अद्वितीय माइक्रो‑बायोम बनाते हैं। यहाँ कुछ विशेष प्रकार की कवक, लिचेन और सूक्ष्मजीव मिलते हैं, जो अन्य जगह नहीं मिलते। इन जीवों को पढ़कर बायो‑टेक्नोलॉजी में नई दवाइयाँ या औद्योगिक उपयोग खोजे जा सकते हैं।

तीसरा – साहसी यात्रियों के लिए आकर्षण। यद्यपि अंटार्कटिका का मौसम कठोर है, लेकिन कई एक्सपेडिशन टीमें और एडवेंचर ट्रैवेलर्स यहाँ पर आकर क्रेटर की तस्वीरें खींचते हैं। यदि आप भी यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको ठीक‑ठाक तैयारी करनी होगी – ठंड के लिए उपयुक्त कपड़े, GPS, और स्थानीय गाइड की जरूरत पड़ेगी।

चारों ओर की बर्फ़ के कारण यह जगह दूर‑दराज़ और मुश्किल पहुँच वाली है, इसलिए यहाँ तक पहुँचने के लिए जहाज़ या आइसब्रेकर की मदद लेनी पड़ती है। अधिकांश समय वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए ही लोग आते हैं, इसलिए यदि आप सिर्फ देखने के लिए आते हैं तो आपको पहले अनुमति लेनी होगी।

अब बात करते हैं कि आप इस क्रेटर के बारे में जानकारी कैसे पा सकते हैं। कुछ प्रमुख स्रोत हैं:

  • NASA और USGS की वेबसाइटें – यहाँ पर सैटेलाइट चित्र और वैज्ञानिक रिपोर्ट मिलती हैं।
  • अंटार्कटिक रिसर्च स्टेशनों की प्रकाशित रिपोर्ट – अक्सर वे यहाँ के गैस उत्सर्जन और तापमान पर डेटा देते हैं।
  • यात्रा ब्लॉग – कुछ साहसी यात्रियों ने अपने अनुभव लिखे हैं, जिससे आपको तैयारी में मदद मिल सकती है।

समझिए कि गेल क्रेटर सिर्फ एक बड़ा गड्ढा नहीं, बल्कि पृथ्वी की रचना को समझने का एक बड़ा प्रयोगशाला है। अगर आप भू‑विज्ञान या पर्यावरण में रुचि रखते हैं, तो इस जगह के बारे में पढ़ना और देखना आपको नया दृष्टिकोण देगा। अगले बार जब कोई कहे कि अंटार्कटिका सिर्फ बर्फ़ है, तो आप बता सकें कि वहाँ एक विशाल ज्वालामुखी भी छिपा हुआ है, जिसका नाम है – गेल क्रेटर।

संक्षेप में, गेल क्रेटर वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और यात्रा के लिहाज़ से एक अनोखी जगह है। इसकी विशालता, सक्रिय गैस फुंक और अनोखे जीव इसे बहुमुखी बनाते हैं। आप चाहे पढ़ना चाहें, अध्ययन करना हो या साहसिक यात्रा पर जाना चाहते हों, इस जगह के बारे में जानकारी रखना फायदेमंद रहेगा।

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NASA के क्यूरियोसिटी रोवर ने गेल क्रेटर में ऐसे तरंग-निशान ढूंढे जो बताते हैं कि 3.7 अरब साल पहले मंगल पर खुली झील में हवा से लहरें उठती थीं। छह मिलीमीटर ऊँचे और 4–5 सेंटीमीटर दूरी वाले ये निशान धरती की झीलों के जैसे हैं। मॉडलिंग से झील की गहराई करीब 2 मीटर आंकी गई। इससे पता चलता है कि तब मंगल का माहौल घना और गर्म था और जीवन की संभावना लंबी रही होगी।

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