पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उतराखंड में भी कैदियों को पैरोल दिया गया था। जिला देहरादून में 120 कैदियों के नाम इस लिस्ट में आये थे जिनकी सजा सात साल से कम थी और व्यवहार के आधार पर उन्हें पैरोल और अंतरिम जमानत दी गई।ऐसे देहरादून जेल में करीब 15 कैदी हैं, जिनका आदेश या तो बदलना पड़ा या उनके प्रार्थनापत्र पर सुनवाई कर उन्हें जेल में ही रखा गया। पैरोल मिलने के बावजूद कुछ कैदी घर जाने को राजी नहीं हुए। कोरोना का खौफ इतना है कि कुछ अपने घर गए तो घरवालों ने ही उन्हें अंदर तक आने नहीं दिया। जबकि, कुछ कैदियों ने घर के बजाय खुद को जेल में ही ज्यादा सुरक्षित माना और बाहर ही नहीं गए। बाद में उन्हें जेल में ही रहने के आदेश देने पड़े।उन्हें छह महीने के लिए जेल से बाहर रहना था, लेकिन मौजूदा हालात कई कैदियों को जेल में ही रहने को मजबूर कर रहे हैं। उन्हें 6 महीने के लिए जेल से बाहर रहना था लेकिन मौजूदा हालात कई कैदियों को जेल में ही रहने को मजबूर कर रहे हैं l
घरवालों ने साफ इंकार कर दिया
केस-1
उत्तर प्रदेश के एक शहर का रहने वाला कैदी देहरादून जेल में सजा काट रहा था। पिछले माह जब उसे घर लेजाया गया तो घरवालों ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यहां खतरा है लिहाजा वह जेल ही चला जाए। इसके बाद उसने पुन: कोर्ट में प्रार्थनापत्र दाखिल किया जिस पर सुनवाई करते हुए संबंधित कोर्ट ने उसे वापस जेल भेजने के आदेश दिए।
केस-2
एक कैदी को पैरोल के बाद पुलिस जब संबंधित थाने लेकर पहुंची तो पता चला कि उसके घरवाले बिहार चले गए हैं। ऐसे में उसने बिहार जाने के बजाय वापस जेल जाना ही बेहतर समझा।
कई कैदियों ने साफ कहा है कि वे घर के बजाय जेल में ज्यादा सुरक्षित हैं। इनमें शुरुआत में दो महिलाएं शामिल थीं। हालांकि कुछ समय बाद एक स्थानीय महिला को पैरोल पर छोड़ा गया। उन्होंने बताया कि ऐसे सभी कैदियों के प्रार्थनापत्र पर सुनवाई कर उन्हें वापस जेल में ही रखा गया है