देश के कोर सेक्टर का आउटपुट अप्रैल 2020 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इस दौरान कोर सेक्टर की आउटपुट की ग्रोथ -38.1 फीसदी रही है। कोरोनावायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए देश में पिछले दो महीने से लॉकडाउ चल रहा है। अप्रैल में फुल लॉकडाउन रहा जिससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप रहीं। इससे पहले मार्च में 8 कोर सेक्टर की ग्रोथ -6.5 फीसदी थी।
इस दौरान जिस सेक्टर पर सबसे बुरा असर पड़ा वो सीमेंट इंडस्ट्री है। इसकी ग्रोथ -86 फीसदी घटी है। मार्च में इसकी ग्रोथ -25.1 फीसदी थी।
स्टील सेक्टर की ग्रोथ पर भी कोरोनावायरस संक्रमण की तगड़ी मार पड़ी है। अप्रैल में इसकी ग्रोथ -83.9 फीसदी रही जो मार्च में -24.1 फीसदी थी।
कोर सेक्टर में ये सेक्टर शामिल हैं जिनकी ग्रोथ पर लॉकडाउन का तगड़ा असर पड़ा है
कोल प्रोडक्शन की ग्रोथ अप्रैल में -15.5% जो मार्च में 4% थी
क्रूड ऑयल प्रोडक्शन की ग्रोथ अप्रैल में -6.4% रही जो मार्च में -5.5% थी
नेचुरल गैस प्रोडक्शन की ग्रोथ अप्रैल में -19.9% रही जो मार्च में -15.1% थी
रिफाइनरी प्रोडक्ट्स आउटपुट की ग्रोथ मार्च में -24.2% रही जो मार्च में -0.5% थी
फर्टिलाइजर्स प्रोडक्शन की ग्रोथ मार्च में -4.5% रही जो मार्च में -11.9% थी
बिजली उत्पादन की ग्रोथ अप्रैल में -22.8% रही जो मार्च में -8.2% थी
क्यों अहम हैं ये आंकड़े
जनवरी से मार्च 2020 यानी फिस्कल ईयर 2020 की चौथी तिमाही के आंकड़ों से यह अंदाजा लग रहा है कि देश की इकोनॉमी पर कोरोनावायरस संक्रमण का असर कैसा पड़ा है। देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है। तब से अब तक देश में चार चरण में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन का चौथा चरण 31 मई को खत्म होने वाला है।
लेकिन अनुमान है कि सरकार इस बार भी लॉकडाउन बढ़ा सकती है।
पिछली तीन तिमाहियों के आंकड़े को देखें तो फिस्कल ईयर 2019-20 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 5% था। वहीं फिस्कल ईयर 2019-20 की दूसरी तिमाही GDP ग्रोथ महज 4.5% थी। जबकि तीसरी यानी दिसंबर 2002 तिमाही में GDP ग्रोथ मामूली बढ़त के साथ 4.7% रही।RBI ने भी अपने हालिया मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में कहा था कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से ग्रोथ को झटका लग सकता है
शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक