रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्च स्तरीय बैठक के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी की चीन के साथ लगती 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रमक बर्ताव का ‘मुंह तोड़’ जवाब देने की ‘पूरी आजादी’ दे दी गई है।
चीन के खिलाफ भारतीय सेना को खुली छूट देने पर चीन में खलबली मच गई जिसके बाद चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गीदड़भभकी दी है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन भारत के साथ विवाद नहीं बढ़ाना चाहता लेकिन चीन के पास भारतीय सेना को जवाब देने की पूरी क्षमता है। चीन के सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता है तो भारत को एक बार फिर 1962 की तरह पराजय का सामना करना पड़ेगा। उनका कहना है कि भारत के साथ सैन्य टकराव कभी भी चीन की प्राथमिकता नहीं रही है इसलिए भारत सीमा पर कम सैनिक तैनात हैं। अगर वहां संघर्ष बढ़ता है तो चीन की सेना भारत की सेना पर हर मोर्चे पर भारी पड़ेगी।
रक्षा मंत्री के साथ बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे,नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने हिस्सा लिया।
सूत्रों ने बताया कि सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए और चीनी सैनिकों के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए ‘सख्त’ रुख अपनाने को कहा है।
सूत्रों ने बताया कि सशस्त्र बलों को दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की सेना के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैए से निपटने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन और भारत की सेनाएं पिछले कई हफ्तों से आमने-सामने है। गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना में 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के कई सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं की।