भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड यानी सेबी ने दो कंपनियों- रुचि सोना और आलोक इंडस्ट्रीज के शेयरों में आई बेतहाशा तेजी की जांच शुरू कर दी है. मामले से जुड़े दो सूत्रों के अनुसार, बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों से इन दो शेयरों के असामान्य खरीद-फरोख्त के आंकड़े मांगे हैं.
हालांकि, इस विषय पर बीएसई और एनएसई ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. बीते कुछ दिनों से दोनों ही कंपनियों के शेयरों के भाव उफान पर हैं.
आज रुचि सोया के शेयर 5 फीसदी के लोअर सर्किट के साथ 1,176 रुपये के हो गए,
जबकि आज आलोक इंडस्ट्रीज के शेयर 5 फीसदी गिरकर 53 रुपये पर पहुंच गया.
दिवालिया हो चुकी खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया को योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने खरीदा था. इसके शेयरों को बाजार पर रीलिस्ट कराया गया था, जिसके बाद इसने 8,818 फीसदी का हैतरअंगेज रिटर्न दिया. इस वजह से कंपनी का मार्केटकैप 50,358 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
मार्केटकैप के आधार पर रुचि सोया ने बायोकॉन, जेएसडब्ल्यू स्टील, अरबिंदो फार्मा, मैरिको और ल्यूपिन जैसे कंपनियों को पीछे छोड़ दिया. पुराने प्रमोटर्स के दौरान रुचि सोया का सर्वोच्च मार्केटकैप 4,232 करोड़ रुपये था, जो इसने नवंबर 2010 में हासिल किया था. सोमवार से ही इस शेयर में लोअर सर्किट लग रहा है.
दूसरी तरफ, आलोक इंडस्ट्रीज को 27 फरवरी को रीलिस्ट करवाया गया था. इसके बाद यह शेयर अप्रैल से 1,256 फीसदी की छलांग लगा चुका है. अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर से इस शेयर ने 4,200 फीसदी से अधिक का हैरतअंगेज रिटर्न दिया है.
मुंबई की इस टेक्सटाइल कंपनी को रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिस्ट्रक्चरिंग कंपनी ने एनसीएलटी से खरीदा था. 31 मार्च तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास कंपनी की 37.70 फीसदी हिस्सेदरी थी, जबकि रिटेल निवेशकों के पास 45.67 फीसदी शेयर हैं.
कई शेयर बाजार विश्लेषको का कहना है कि दोनों ही कंपनियों के प्रमोटर्स के रूप में बड़े नाम जुड़े हैं, जिसकी वजह से शेयरों में तेजी जारी है. हालांकि, ब्रोकर्स का मानना है कि इनकी तेजी काफी अधिक है. शेयर बाजार 19 फरवरी से शुरू हुई बिकवाली के जख्मों से अभी तक नहीं उबर सका है.
शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक