कोरोना वायरस महामारी के चलते दिल्ली प्रदेश में भुखमरी ना फैले उसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि देश की राजधानी दिल्ली में कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे. इसके लिए उन्होंने जनकल्याण योजनाओं के लाभ और बढ़ाने के आदेश दिए हैं.
दिल्ली हाई कोर्टके चीफ जस्टिस डीएन पटेल और प्रतीक जालान की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को लॉक डॉन के दौरान चालू की गई जनकल्याण की योजनाओं को बाद में भी जारी रखने के निर्देश दिए हैं.
यह आदेश एक गैर सरकारी संस्था की याचिका के बाद सुनवाई के दौरान दिया गया जिसमें एनजीओ ने आरोप लगाया था कि खाने आदि की सामग्री के साथ बाटी जारी कोरोनावायरस राहत किट का लाभ जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें नहीं दिया जा रहा है.
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि आधार और वोटर आईडी धारा कि इन लोगों के लिए पूरी तरह से योग्य है. हालांकि इस याचिका पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है, इस पर दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि अनाज के वितरण में राशन कार्ड धारकों को बिना कार्ड वालों के बीच में किसी तरह का कोई भी भेदभाव नहीं किया जा रहा है, और दिल्ली की सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कोरोना संकट के बीच में कोई भी भूखा ना रहे
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जैन की पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन और दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्टैंडिंग काउंसिल अनुज अग्रवाल ने बताया कि लोगों को बड़े स्तर पर अनाज और पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, और इसमें किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने आगे बताया था कि हमने जगह- जगह पर भूख राहत केंद्र बनाए हैं, जहां पर कोई भी जाकर मुफ्त में खाना प्राप्त कर सकता है, जिसके लिए किसी राशन कार्ड या आईडी कार्ड की जरूरत नहीं है. इसके अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से काफी सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे कि कोई भूखा ना रहे और मुख्यमंत्री को रोना सहायता योजना इन में से एक है, जिसके तहत जरूरतमंदों को मुफ्त में खाने के कूपन दिए जाते हैं.