आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी के अलावा कोई और ग्रह पानी रख सकता है? पिछले कुछ सालों में वैज्ञानिकों ने लगातार ऐसा ही बताया है। मंगल, जिसे लाल ग्रह कहा जाता है, पर पानी के संकेत मिल रहे हैं, और यह खबर कई लोगों को चकित कर रही है।
सबसे पहले गौर करने वाली बात ये है कि पानी सिर्फ बर्फ के रूप में नहीं, बल्कि सालों में कभी‑कभी तरल रूप में भी मौजूद हो सकता है। इस संभावित जल स्रोत ने वैज्ञानिकों को नई खोजों की राह दिखाई है।
नासा के पर्क्यूरियन रोवर ने 2021 में मार्स के सतह पर एक अजीब‑अजीब धब्बा देखा, जिसे बाद में जल से बनती गड्ढे के रूप में पहचाना गया। इससे पता चला कि कुछ जगहें अभी भी जल रखती हैं, चाहे वह जमाकर हो या बहुत पतले स्तर पर।
इसी तरह, भारत की ISRO ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) से ली गई तस्वीरों में ध्रुवीय बर्फ कण देखे। यह बर्फ ठंडी रात में जम कर बर्फ की चादर बनाती है, जिसे सूरज की रोशनी में पिघलने पर गुप्त रूप से पानी की बूंदें बनती हैं।इन सब साक्ष्य से साफ़ है कि मंगल पर पानी का इतिहास लंबा और जटिल है। यह सिर्फ बर्फ नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक जल चक्र भी हो सकता है, जिसमें वाष्पीकरण, संघनन और फिर बंधन की प्रक्रिया शामिल है।
अगर मंगल पर स्थायी पानी हो तो इसका मतलब है कि भविष्य में मानव मिशन अधिक सुरक्षित हो सकते हैं। जल को सीधे ग्रह से निकालकर पेय जल या ईंधन में बदला जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों का बोझ कम होगा।
आगे चलकर, वैज्ञानिक मंगल पर छोटे‑छोटे बेस बनाने की योजना बना रहे हैं, जहाँ जल को रिसाइक्लिंग करके पौधों को उगाया जा सके। यह न केवल खाने‑पीने की सुविधा देगा, बल्कि पृथ्वी से सप्लाई की जरूरत भी घटेगी।
एक ज़रूरी बात ध्यान में रखनी चाहिए – पानी की मौजूदगी का मतलब यह नहीं कि वहाँ जीवन मौजूद है। लेकिन पानी जीवन की शुरुआत के लिए एक बुनियादी तत्व है, इसलिए इस खोज को जीवन खोज के एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
संक्षेप में, मंगल पर पानी की खोज न सिर्फ विज्ञानियों के लिए खुशी की खबर है, बल्कि आम जनता के लिए भी आशा की प्रतीक है। अगर ये खोज लगातार पुष्टि होती रहती है, तो अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यात्रियों को अपने घर जैसा माहौल बनाने में मदद मिल सकती है।
आपका क्या ख्याल है? क्या हम जल्द ही मंगल पर जल रिसाव देखेंगे और वहाँ की बास्केटबॉल कोर्ट पर जल खेलेंगे? समय बताएगा, लेकिन विज्ञान के इस रोमांच में हम सब साथ हैं।
NASA के क्यूरियोसिटी रोवर ने गेल क्रेटर में ऐसे तरंग-निशान ढूंढे जो बताते हैं कि 3.7 अरब साल पहले मंगल पर खुली झील में हवा से लहरें उठती थीं। छह मिलीमीटर ऊँचे और 4–5 सेंटीमीटर दूरी वाले ये निशान धरती की झीलों के जैसे हैं। मॉडलिंग से झील की गहराई करीब 2 मीटर आंकी गई। इससे पता चलता है कि तब मंगल का माहौल घना और गर्म था और जीवन की संभावना लंबी रही होगी।
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