आरबीआई ने इंडिविजुअल, छोटे कर्जदारों के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग की दूसरी विंडो खोली है. इसके तहत जिन्होंने पहले लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा नहीं ली थी और उनका लोन 25 करोड़ रुपये तक का है वह इस बार लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा ले सकते हैं.
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) आज कोरोना और उससे जुड़ी स्थितियों पर प्रेस कॉन्फ्रेस कर रहे है. इस प्रेस कॉन्फ्रेस में उन्होंने बड़ी घोषणाएं की हैं. उन्होनें छोटे व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए कहा कि 25 करोड़ तक का लोन लेने वाली छोटी कंपनियों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) की सुविधा दी जाएगी. यानी उन सभी लोन लेने वाली कंपनियों को इस स्कीम का फायदा मिल सकता है, जिन्होंने पिछले साल लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा नहीं ली थी.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वो छोटी कंपनियां जिन्होंने पिछले साल यानी कोरोना की पहली वेब से दौरान लोन रीस्ट्रक्चर कराया था, वह अपने टेन्योर को दो साल तक और बढ़ा सकते हैं. अगर किसी ने 10 साल के लिए लोन लिया है तो लोन लेने वाली छोटी कंपनी उसे 12 साल तक का लोन रीस्ट्रक्चर करा सकती है.
RBI ने की लोन रीस्ट्रक्चरिंग 2.0 की घोषणा
आरबीआई ने इंडिविजुअल, छोटे कर्जदारों के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग की दूसरी विंडो खोली है. इसके तहत जिन्होंने पहले लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा नहीं ली थी और उनका लोन 25 करोड़ रुपये तक का है वह इस बार लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा ले सकते हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड-19 का प्रकोप बना रहने से सामान्य कामकाज और नकदी प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है. ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र में दबाव और बढ़ा है और उसे सहारे की जरूरत है.
जानिए क्या है लोन रीस्ट्रक्चरिंग
लोन रीस्ट्रक्चरिंग का सीधा मतलब लोन की मौजूदा शर्तों को बदलना है. बैंक इन्हें ग्राहकों की सहूलियत के लिए बदलते हैं. इससे बैंक या वित्तीय संस्थान लोन की मूल रकम और इस पर ब्याज का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर पाते हैं. इसका बैंकों और ग्राहकों दोनों को फायदा है.
लोन रिस्ट्रक्चरिंग को आसान भाषा में ऐसे समझिए
मान लेते हैं कि अमित (काल्पनिक नाम) को सालाना 4 फीसदी की दर से तीन साल में एक लाख रुपये के कर्ज का चुकाना है. लेकिन, उसे लगता है कि वह ऐसा नहीं कर जाएगा. ऐसे में बैंक इस लोन को कई तरह से रिस्ट्रक्क्चर कर सकते हैं. ब्याज की वही दर रखते हुए बैंक लोन की अवधि को बढ़ा सकते हैं. इसमें ग्राहक की लोन अदा करने की क्षमता को चेक किया जाता है. इससे ग्राहक को लोन का डिफॉल्ट करने से बचाया जाता है. इससे बैंकों को भी अपनी रकम डूबने से बचाने में मदद मिलती है. इस प्रक्रिया से व्यक्ति को अपने बिजनेस को पटरी पर लाने का समय मिल जाता है.
होम, पर्सनल और ऑटो लोन में ये कैसे करेगी मदद?
ईएमआई रिस्ट्रक्चरिंग में बैंक लोन की अवधि को बढ़ा देता है. इससे ग्राहक के लिए ईएमआई की रकम घट जाती है. इससे उसे कर्ज लौटाने में सहूलियत होती है.