ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में भारत की सॉवरेन रेटिंग घटाई थी। अब मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और खतरे की घंटी बजा दी है। मूडीज के मुताबिक रिटेल और स्मॉल बिजनेस लोन डूब सकते हैं। मूडीज के अनुसार फाइनेंशियल सिस्टम के लिए जोखिम बढ़ रहा है। कोरोनोवायरस संकट से पहले ही कुछ क्षेत्रों में दबाव था। एनबीएफआई (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन) के लिए संपत्ति (Assets) और देनदारी (Liability) दोनों ही दबाव में आ सकते हैं, जो बैंकों के कुल लोन का लगभग 10-15 प्रतिशत होगा। मूडीज की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक प्राइवेट पावर सेक्टर पर बैंकों का 8-10 फीसदी लोन है। वहीं प्राइवेट बैंकों का सबसे अधिक लोन ऑटो वैल्यू चेन पर है।
बड़ी संख्या में डूबेंगे लोन-
मूडीज का कहना है कि रिटेल और एसएमई के लोन बड़ी संख्या में डूब सकते हैं, जो कुल लोन का 44 फीसदी है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि पॉलिसीमेकिंग इंस्टिट्यूशन कम ग्रोथ, कमजोर फिस्कल कंडीशन और वित्तीय क्षेत्र में बढ़ते तनाव से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि 80 प्रतिशत से अधिक रेटेड गैर-वित्तीय कंपनियों के लिए नकारात्मक आउटलुक हैं या उनकी रेटिंग घटाने के लिए समीक्षा की जा रही है। रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर पोर्टफोलियो में से दो-तिहाई के लिए निगेटिव आउटलुक है।
कर्ज का बोझ है ज्यादा –
एजेंसी ने बताया कि भारत के कर्ज का बोझ अपने जैसे देशों की तुलना में अधिक बना हुआ है। भारत में कोरोनोवायरस के प्रकोप से पहले ही मंदी के साफ संकेत थे। महामारी से पहले मंदी के फैक्टर विकसित हो रहे थे और नवंबर 2019 से जोखिम में बढ़ोतरी हुई है। दो दिन पहले मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दिया था। इसके साथ ही मूडीज ने भारत के लिए निगेटिव आउटुलक को बरकरार रखा था।
शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक