घर जाने के लिए एक बार फिर उमड़ी प्रवासी कामगारों की भीड़ दिल्ली- यूपी बॉर्डर पर

एक बार फिर दिल्ली-यूपी राज्य सीमा (यूपी गेट पर प्रवासी कामगारों की भीड़ मंगलवार को घर जाने के लिये इक्कठा हो गई, सभी को पुलिस ने पुल के नीचे रोक दिया, बताया ये जा रहा है कि पुल के नीचे लगभग दो तीन हज़ार लोग इक्कठा हुए.

ज्यादा भीड़ होने के कारण लॉक डाउन नियम सोशल डिस्टन्सिंग का पालन नहीं हो पा रहा. कुछ लोगो से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि वो हर हाल में अपने घर जाना चाहते है. दिल्ली- यूपी बॉर्डर पर प्रवासी लोगो का आना कई दिनों से लगातार जारी है, पुलिस इन लोगों को बसों के जरिए शेल्टर होम ले जाएगी। जहाँ पर उनकी स्क्रीनिंग होगी, उस के बाद जो जहाँ जाना चाहता है उसके गृह राज्य जाने वाली स्पेशल श्रमिक ट्रेन मे बैठाया जायेगा.

सोमवार को दिल्ली और हरियाणा से कामगारों का पैदल पलायन जारी रहा और दिल्ली पुलिस की सख्ती के बाद यूपी गेट की ओर जाने वाले कामगार गाजीपुर डेयरी फार्म गोल चक्कर के पास फ्लाईओवर के नीचे जमा हो गए। सोशल डिस्टन्सिंग की इन लोगो को कोई भी खबर नहीं थी ये बस अपने घर जाने की धुन मे थे. पुलिस बार-बार सोशल डिस्टन्सिंग रखने की अपील करती रही पर भीड़ पर वो अपील बेसर रही.

ज्यादातर लोगो का कहना था कि दो महीने से कमरे का किराया न दे पाने के कारण मकान मालिक अब किराया मांग रहे है और जहां से उधर राशन मिलता था उन्होंने भी अब उधार में राशन देने से मना कर दिया और हमारे पास यहाँ का राशन कार्ड नहीं है जिस वजह से राशन भी नहीं मिल पा रहा है, दिल्ली-यूपी की पुलिस अपनी- अपनी  सीमा पर पूरी तरह से मुस्तैद थी इन्हे रोकने के लिए !

 

 

बहुत से समाजसेवी संघटनो ने वहां पर इन प्रवासियों के लिए खाना, पानी, बिस्कुट, फल आदि खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई, सब लोग बस यही कह रहे थे की किसी भी तरह से हमारे यहाँ से घर तक जाने का प्रबंध करा दीजिये, कोई भी बस -ट्रक का इंतज़ाम करा दीजिए जिस से हम अपने घर तक पहुँच जाये और हम किराये के पैसे देने के लिए तैयार है. काफी लोग रात मे ही यहाँ पहुँच गए थे और वो अपने परिवार सहित पुल के नीचे की कपडे बिछा कर वही लेटे हुए थे, कुछ औरतें टॉयलेट-बाथरूम जाने के लिए परेशान थीं। काफी देर तक ये लोग इसी तरह यहां इधर से उधर भटकते रहे। फिर पुलिस ने यूपी -बिहार जाने के लिए लोगो की अलग-अलग लाइन लगवाई फिर इन लोगो को शेल्टर होम पहुंचाने की व्यस्था की.

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