रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने 29 जून को एक प्रेस रिलीज के जरिए सूचित किया है कि कंपनी अगले 5 साल के अंदर रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल को बाजार में लिस्ट करवाने की तरफ बढ़ रही है।
इस प्रेस रिलीज में कंपनी ने बताया है कि वह पूरी तरह से नेट-डेट फ्री हो गई है। उसने सिर्फ 58 दिन में बाजार से 1.68 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी दुनिया की सबसे मजबूत बैलेसशीट वाली कंपनियों में से एक बन गई है।
RIL के स्टॉक में एक बड़ी री-रेटिंग देखने को मिल सकती है। मार्च 2021 तक यह शेयर आसानी से 1900 रुपये का स्तर छू सकता है। रिलायंस रिटेल कंपनी के लिए अगला ग्रोथ ड्राइवर साबित होगा।
कर्ज मुक्त होने का कंपनी का पहला लक्ष्य पूरा हो गया है। अब रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म में और बिक्री की कम संभावना है। ऐसे में रिलायंस के लिए अगला ग्रोथ ड्राइवर रिलायंस रिटेल होगा। अगर आप रिलायंस रिटेल की डी-मार्ट के साथ तुलना करें तो हम देखते है डी-मार्ट का मार्केट कैपिटाइलजेशन 1.5 लाख करोड़ रुपये और उसकी टॉपलाइन 25,000 करोड़ रुपये है। वहीं रिलायंस रिटेल की टॉप लाइन 2 लाख करोड़ रुपये है जो डी-मार्ट के टॉपलाइन से करीब 7 गुना ज्यादा है।
अनुमान है कि रिलायंस रिटेल का वैल्यूएशन 4-5 लाख करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। मेरा मानना है कि अब आगे हमें रिलायंस रिटेल में उसी तरह का निवेश देखने को मिलेग जैसा हमको हाल में जियो प्लेटफॉर्म में देखने को मिला है।
मेरा यह भी मानना है कि स्टॉक का कुल वैल्यू ना मिल पाने की संभावना के चलते भारत में जियो की लिस्टिंग की संभावना कम है। अगले कुछ वर्षों में हमें विदेशी बाजारों में रिलायंस जियो की लिस्टिंग देखने को मिल सकती है जिससे रिलायंस के शेयर होल्डरों को इसकी अधिकतम वैल्यू मिल सके।
भारत में रिलायंस जियो के लिस्ट ना होने की वजह यह होगी कि अगर रिलायंस जियो भारतीय बाजारों में लिस्ट हो जाता है तो होल्डिंग कंपनी की डिस्काउंटिंग शुरु हो जायेगी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को सही वैल्यू नहीं मिलेगी। इसके उलटे अगर रिलायंस जियो की लिस्टिंग विदेशी बाजारों में होती है तो कंपनी इसकी कुल वैल्यू हासिल कर पाएगी
शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक