भारतीय शेयर बाजार के लिए 2011 के बाद , यह सबसे खराब साल

शेयर बाजार को इस साल हुए नुकसान की भरपाई जल्द नहीं होने जा रही है. बाजार के एक्सपर्ट्स के बीच हुए रॉयटर्स के एक पोल से यह जानकारी मिली है. बिजनेस और आर्थिक गतिविधियां ठप रहने से बीते नौ सालों में शेयर बाजार के लिए यह सबसे निराशाजनक साल हो सकता है.

इस सर्वे में काफी रणनीतिकारों ने हिस्सा लिया, जिसमें से 55 फीसदी से अधिक ने स्वीकर किया कि बीएसई सेंसेक्स इस साल 24 मार्च को दर्ज किए 25,639 के स्तर तक दोबारा जा सकता है. एक एक्सपर्ट ने कहा कि ऐसा होने की संभावना सितंबर के अंत तक है

अपने रिकॉर्ड निचले स्तरों तक फिसलने के बाद से सेंसेक्स ने 20 फीसदी तक की तेजी दर्ज की है. हालांकि, इंडेक्स अब भी अपने शिखर स्तर से करीब 26 फीसदी तक नीचे हैं. सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये का मेगापैकेज और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती भी बाजार में जोश नहीं भर पाए हैं.

एक अन्य पोल में उम्मीद जताई गई थी कि बीएसई सेंसेक्स साल 2020 के अंत तक 31,960 के स्तर तक पहुंच सकता है, जो शुक्रवार के स्तर से 4.2 फीसदी ऊपर है. यह सर्वे शुक्रवार को रिजर्व बैंक की बैठक से पहले जारी किया गया था, जिसमें रेपो रेट को 40 बेसिस अंक घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया था.

यदि इस पोल का अनुमान सही साबित हुआ, तो इंडेक्स इस साल 22.5 फीसदी की गिरावट के साथ सत्र का अंत करेगा, जो साल 2011 के बाद इंडेक्स का सबसे बुरा प्रदर्शन होगा. इससे तीन महीने पहले इंडेक्स के 43,500 के स्तर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था.

माना जा रहा है कि साल 2021 के मध्य तक बीएसई सेंसेक्स 35,500 के स्तर तक पहुंच सकता है और साल 2021 के अंत तक इंडेक्स 38,000 को पार कर जाएगा. मगर यह 20 जनवरी 2020 के 42,274 के सर्वोच्च स्तर की तुलना में काफी कम होगा, जब भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला आया था.

इंवेटमेन्ट डॉक्टर के विश्लेषक “शोभित अग्रवाल” का कहना है, “अन्य उभरते हुए बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार आकर्षक नजर आते हैं. मगर इस साल आर्थिक गतिविधियों में गिरावट और सुस्त रिकवरी की वजह से बाजार से संभावित रिटर्न सीमित रह सकता है.”

शेयर बाजार के रणनीतिकारों में 85 फीसदी से अधिक ने माना कि मौजूदा आर्थिक हालात और अधिक बेरोजगारी दर अगले तीन महीने के लिए भारतीय बाजारों के लिए ‘अधिक’ या ‘काफी अधिक’ जोखिम दिखाते हैं. 60 फीसदी यानी 29 में से 18 दिग्गजों ने का मानना है कि कॉर्पोरेट कमाई का बट्टा बैठ सकता है.

इंदिरा सेक्युरिटी के रिसर्च हेड “राधेश्याम” ने कहा, “हमाार मानना है कि मौजूदा नतीजों के दौर के बाद जून से अगस्त के दौरन इंडेक्स अपने निचले स्तरों तक एक बार फिर फिसल सकता है. लॉकडाउन के चलते कमाई बुरी तरह प्रभावित होगी और रिकवरी की रफ्तार काफी कम रहने वाली है.”

शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here