दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार का अधिग्रहण करने के करीब पहुंच गई है. दोनों समूह आपसी मतभेद से आगे निकल कर नियम व शर्तें तय कर चुके हैं. मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस डील का ऐलान जल्द हो सकता है.
फ्यूचर ग्रुप के कई कारोबार हैं, जिनमें छह सूचीबद्ध इकाइयां शामिल हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज किशोर बियानी के समूह के रिटेल कारोबार, सप्लाई चेन और इससे संबंधित कमकाज को खरीदने वाली है. इससे रिटेल बाजार में बियानी की पारी का अंत होगा.
सूत्रों के अनुसार, इस डील में विचार-विमर्श का सबसे बड़ा मसला यह था कि डील के बाद बियानी का क्या रोल होगा. प्रस्ताव था कि बियानी के पास कंपनी की कमान रहेगी और रिलायंस को बोर्ड में शामिल किया जाएगा.
मामले से जुड़े अन्य व्यक्ति का कहना था कि विवाद का दूसरा मसला फ्यूचर रिटेल की वैल्यूएशन था. फ्यूचर रिटेल मौजूदा समय में लिक्विडिटी संकट से जूझ रहा है और बीते सप्ताह ही इसने कुछ डॉलर बॉन्ड्स के ब्याज भुगतान नहीं किया था. इसके बाद फिच ने कंपनी की रेटिंग घटा दी थी.
प्रमोटर्स के पास फ्यूचर रिटेल की 42 फीसदी हिस्सेदारी है. मगर 30 जून 2020 तक 75 फीसदी प्रमोटर हिस्सेदारी गिरवी रखी गई थी. कंपनी के पास बिग बाजार, ईजीडे क्लब और ब्रांड फैक्टरी जैसे ब्रांड मौजूद हैं.
दूसरी तरफ, फ्यूचर ग्रुप पर बढ़ते कर्ज और घटती वैल्यूएशन का दबाव बढ़ रहा है. कोरोना वायरस ने स्थिति बदतर कर दी है. समूह की सूचीबद्ध कंपनियों की वैल्यूएशन 74 फीसदी घटकर 10,464 करोड़ रुपये रह गई है, जबकि कर्ज 12,000 करोड़ रुपये से अधिक है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस विषय पर भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया. इस संभावित डील से पता चलता है कि रिलायंस भारतीय ऑनलाइन और ऑफलाइन रिटेल बिजनेस पर अपनी धाक जमाना चाहती है. मॉर्गन स्टेनले ने हाल ही में रिलायंस रिटेल की वैल्यूएशन $29 अरब बताई थी.
शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक