जून महीने डेरिवेटिव सीरीज की एक्सपरी हो चुकी है। अब देखना यह होगा जुलाई में माकेर्ट किस दिशा की और जायेगा। माकेर्ट में तेजी आयेगी या गिरावट। राधेश्याम चौहान जी की रिपोर्ट , ( शेयर बाजार विश्लेषक )
यदि हम पिछले 10 साल के जुलाई महीने के कारोबार की बात करे। पिछले 10 साल में जुलाई महीने मे 9 बार तेजी रही है केवल 2019 मे 5.5 % की तेज गिरावट देखी गई थी। उसका मुख्य कारण जुलाई 2019 आने वाला बजट था। बजट माकेर्ट के अनुसार नही आया था । इस कारण से fii ने तेज बिकवाली की थी । इस कारण से माकेर्ट में तेज गिरावट आई थी।
जुलाई महीने मे अधिकतर तेजी आने कारण जुलाई महीने में आने वाले कम्पनियों के रिजल्ट होते है। अच्छे रिजल्ट आने के कारण शेयरो मे तेजी देखी जाती है। इस कारण बाजार में बढ़त देखी जाती है।
परन्तु इस बार की परिस्थितियां कुछ अलग है। इस बार कम्पनियों के रिजल्ट कारोना वायरस के कारण कमजोर आने की उम्मीद है कुछ सेक्टरो को छोड़कर।
यदि जुलाई डेरिवेटिव सीरीज में ज्यादा तेजी कारण आने आसार कम है। जुलाई बाजार एक सीमित दायरे मे रह सकता है। फ्यूचर्स कान्ट्रेक्टस के रोल ओवर आकड़ो से इसका संकेत मिलता है। जून सीरीज मे निफ्टी 8 फीसदी उछाल के बाद ट्रेडरो ने रोलर ओवर में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। जून सीरीज गुरुवार को एक्सपायर हो गई।
अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक एक्सपरी के दिन (गुरुवार) निफ्टी रोल ओवर 71.6 प्रतिशत रहा। यह तीन महीने के 69.7 फीसदी के औसत से ज्यादा है। लेकिन पिछले महीने के 75.7 % रोल ओवर कम है।
हालिया तेजी के बाद सूचकांकों को ऊंचे स्तर पर रसिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि लाकडाउन खुलने के बाद अर्थव्यवस्था मे आए बाद अर्थव्यवस्था मे आए बदलाव की तस्वीर साफ नही है।
निफ्टी का 10400 का रसिस्टेंस मुख्य रहेगा यदि ने 10400 का रसिस्टेंस पार कर लेती तो निफ्टी 10700 तक जा सकती है।
नीचे की और निफ्टी का 10000 का निफ्टी का सपोर्ट स्तर मुख्य होगा यदि निफ्टी 10000 तोड़ती है तो 9700 तक जा सकती है।
शोभित अग्रवाल का कहना है कि निफ्टी को 10500 10600 को रेसिस्टेंट का सामना करना पड़ेगा । इस वजह से ऊंचे स्तर पर काफी बियरिश पोजिशंस बने है। जुलाई महीने मे निफ्टी सीमित दायरे 10000 से 10600 के बीच कारोबार करेगा, अधिकतर विश्लेषकों का मानना है।
हालंकि ऐतिहासिक आंकडो को देखे तो जून और जुलाई सीरीज मे अपेक्षाकृत कम उतार चढाव देखने को मिला है।
राधेश्याम चौहान ( विश्लेषक इंदिरा सेक्युरिटी)
शोभित अग्रवाल (शेयर बाजार विश्लेषक )