वैज्ञानिक डॉ अनंत नारायण भट्ट ने कहा कि ट्रायल के तीसरे दौर में हमने बड़े स्तर पर टेस्टिंग की, जिसके नतीजे शानदार रहे. उन्होंने कहा कि इस दवा के इस्तेमाल से ऑक्सीजन की कमी की समस्या आई ही नहीं.
कोरोना महामारी के बढ़ते कहर के बीच अच्छी खबर सामने आई है. भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना के इलाज की सबसे बेहतर दवा ढूंढ ली है. इसे भारत सरकार से मंजूरी भी मिल गई है और जल्द ही ये दवा बाजार में भी आ जाएगी. इस दवा को बनाया है डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेस (INMAS) और हैदराबाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) ने. इसे टू डॉक्सी डी ग्लूकोज नाम दिया गया है.
ट्रायल के नतीजे बेहद शानदार रहे
डॉ सुधीर चंदना ने कहा कि हमने अप्रैल 2020 में टेस्टिंग शुरू की थी और पहली बार में ही अच्छे नतीजे मिले. मई 2020 में क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मिली,जो अक्टूबर तक चली. इस दवा को अभी 2-deoxy-D-glucose (2-DG) नाम दिया गया है. जो जल्द ही इलाज के लिए उपलब्ध होगी. ऐसा देखा गया है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को यह दवा देने से वह जल्दी ठीक हो जाते हैं.
मरीजों में नहीं आ रही ऑक्सीजन की समस्या
दिल्ली में डीआरडीओ के INMAS डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक डॉ अनंत नारायण भट्ट ने कहा कि ट्रायल के तीसरे दौर में हमने बड़े स्तर पर टेस्टिंग की, जिसके नतीजे शानदार रहे. उन्होंने कहा कि इस दवा के इस्तेमाल से ऑक्सीजन की कमी की समस्या आई ही नहीं. उन्होंने कहा कि हमें दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिल गई है. जल्द ही डॉ रेड्डीज लैब के साथ मिलकर इस दवा का उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू होगा. उन्होंने बताया कि ये दवा पाउडर फॉर्म में है, जिसे पानी के सात सुबह शाम आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है. क्लीनिकल ट्रायल में पाया गया कि यह दवा लेने वाले मरीज दूसरे मरीजों की तुलना में ढाई दिन पहले ठीक हो गए.
ऐसे करती है काम
ये दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन कर वायरस को बढ़ने से रोकती है. इस दवा की खास बात ये है कि ये वायरस से संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करती है. और तेजी से वो इनसे निपटती हैं.